22 जनवरी को दीपोत्सव मनाने के लिए बाजार में दीयों और मिट्टी की कमी, दोगुने दाम पर भी मिलना मुश्किल

राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के मौके पर देशभर में दिवाली जैसा जश्न मनाया जाएगा। राम भक्तों ने अभी से ही श्रीराम की मूर्ति, फोटो लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। दीये खरीदने से लेकर साज-सजावट का सामान खरीदने के लिए लोगों की भीड़ बाजार पहुंच रही है।

ऐसे में राम मंदिर को लेकर शहरों में मिट्टी के दीयों की डिमांड एकदम बढ़ गई है। दिवाली न होते हुए भी देशभर में दीयों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। शहरों में हालात ये हैं कि कारीगरों के लिए दीयों का ऑर्डर पूरा करना मुश्किल हो रहा है। वहीं, बाजार में भी दीयों की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। लेकिन फिर भी कारीगरों के लिए ऑर्डर पूरा करना मुश्किल होता जा रहा है। बाजार में जो मिट्टी का सामान्य दीया पहले एक या दो रुपये का मिलता था, वह अब सीधे पांच रुपये तक का मिल रहा है।

दिये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि दीपावली पर दीये बनाने की तैयारी वह करीब छह महीने पहले ही शुरू कर देते हैं। इस समय दीयों की मांग अचानक बढ़ गई है। बीते एक महीने से उन्हें ऑर्डर मिलने लगे हैं। इसके लिए वह तैयार नहीं थे। इसलिए मुश्किलें आ रही हैं। इस पर बिना धूप वाले मौसम ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। दीये बिना धूप के सूख नहीं रहे हैं। इसके बावजूद 22 जनवरी की मांग को पूरा करने के लिए सभी कारीगर जुटे हुए हैं।

राजधानी दिल्ली में दीये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि दिल्ली में मिट्टी से बने सामान बनाने के लिए हरियाणा के बहादुरगढ़ और झज्जर जिलों के खेतों से मिट्टी आती है। इसमें काली और पीली मिट्टी शामिल हैं। अभी मिट्टी की कमी है। मिट्टी खेतों से निकलती है, जो मिट्टी निकली है, वह पहले ही बिक चुकी है। काली मिट्टी सबसे महंगी होती हैं क्योंकि यह तालाबों व जोहड़ों से निकाली जाती है। पहले चार से छह हजार रुपये प्रति ट्राली मिट्टी पड़ती है। अब यह मिट्टी दोगुने दामों पर भी नहीं मिल रही है। दीपावली पर करीब छह ट्राली मिट्टी के दीये बनाते हैं, लेकिन इस बार यदि दस ट्राली मिट्टी मिले, तो भी दीये कम पड़ जाएंगे।

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